दस मिनट ...
दस मिनट ...
ठीक से याद नहीं पहली बार कब दौड़ा था... माँ कहती है मैंने चलना भाई से बहुत पहले सीख लिया था...पर दौड़ना हमेशा से अच्छा लगा है मुझे...दोस्तों मे हमेशा सबसे तेज दौड़ना... शाम को दोस्तों के साथ रेस लगाना...तब कोई खास वजह नहीं रही होगी दौड़ने की...बस अच्छा लगता था सबसे तेज दौड़ना...स्कूल मे पहली बार स्कूल टीम के लिए दौड़ा तो इश्क़ मे जैसा मह्सुश होता होगा वैसा कुछ मह्सुश हुआ था...इतने लोगो की चीखने की आवाज़ सिर्फ तुमहारे लिए...आज भी आँख बंद करू तो सुन सकता हूँ वो सारी आवाज़ें...स्कूल के बाद दौड़ना छूट गया बिलकुल...इक्का दुक्का बार कभी कभी दौड़ लिया होगा...
इतने सालो बाद अब थोड़ा बहुत दौड़ना फिर शुरू किया है...पर इस बार इश्क़ जैसा कुछ भी नहीं है..I have to find my answer to WHY I RUN?
दौड़ना शुरू करने की पहली वजह तो शायद थोड़ा फिट होना रहा होगा...पर मुझे कभी बाहरी सुंदरता आकर्षित नहीं करती...मुझे ढूंढ़नी थी वजह की दौड़ना मेरे अंदर कुछ छूता है या नहीं...कुछ अंदर कुरुदने के बाद मालुम हुआ...बचपन मे जब स्कूल के लिए दौड़ा करता तो कितने लोग चाहते थे की मे पढाई पे ध्यान दू और दौड़ना छोड़ दू..टीचर्स,पेरेंट्स; बस एक भैया का सपोर्ट था तब...2 बजे स्कूल से आने के बाद 4 बजे फिर प्रैक्टिस के लिए जाना... 6 बजे वापिस आकर पढ़ना...दौड़ना कभी पढ़ने के बीच मे नहीं आने दिया...तब कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता था...वैसा मह्सुश किये कितने साल हो गए...दौड़ना बस कोशिश है थोड़ा बहुत वैसा मह्सुश करने की...
शुरू मे मुश्किल से 10 मिनट दौड़ पता था....पर दिन के उन 10 मिनट मे सिर्फ अपने साथ होता हूँ...ना कोई regret, guilt, remorse,sadness, worry , बस दौड़ना, मह्सुश करना दिल की धड़कने तेज होते, सांसो का तेज होना, दिन के उन 10 मिनटों मे लगता ज़िन्दगी थोड़ी बहुत अभी भी अपने control पे है...दौड़ना बस कोशिश है ज़िन्दगी से इन 10 मिनटों को छीनना थोड़ा सा अपने लिए...
ठीक से याद नहीं पहली बार कब दौड़ा था... माँ कहती है मैंने चलना भाई से बहुत पहले सीख लिया था...पर दौड़ना हमेशा से अच्छा लगा है मुझे...दोस्तों मे हमेशा सबसे तेज दौड़ना... शाम को दोस्तों के साथ रेस लगाना...तब कोई खास वजह नहीं रही होगी दौड़ने की...बस अच्छा लगता था सबसे तेज दौड़ना...स्कूल मे पहली बार स्कूल टीम के लिए दौड़ा तो इश्क़ मे जैसा मह्सुश होता होगा वैसा कुछ मह्सुश हुआ था...इतने लोगो की चीखने की आवाज़ सिर्फ तुमहारे लिए...आज भी आँख बंद करू तो सुन सकता हूँ वो सारी आवाज़ें...स्कूल के बाद दौड़ना छूट गया बिलकुल...इक्का दुक्का बार कभी कभी दौड़ लिया होगा...
इतने सालो बाद अब थोड़ा बहुत दौड़ना फिर शुरू किया है...पर इस बार इश्क़ जैसा कुछ भी नहीं है..I have to find my answer to WHY I RUN?
दौड़ना शुरू करने की पहली वजह तो शायद थोड़ा फिट होना रहा होगा...पर मुझे कभी बाहरी सुंदरता आकर्षित नहीं करती...मुझे ढूंढ़नी थी वजह की दौड़ना मेरे अंदर कुछ छूता है या नहीं...कुछ अंदर कुरुदने के बाद मालुम हुआ...बचपन मे जब स्कूल के लिए दौड़ा करता तो कितने लोग चाहते थे की मे पढाई पे ध्यान दू और दौड़ना छोड़ दू..टीचर्स,पेरेंट्स; बस एक भैया का सपोर्ट था तब...2 बजे स्कूल से आने के बाद 4 बजे फिर प्रैक्टिस के लिए जाना... 6 बजे वापिस आकर पढ़ना...दौड़ना कभी पढ़ने के बीच मे नहीं आने दिया...तब कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता था...वैसा मह्सुश किये कितने साल हो गए...दौड़ना बस कोशिश है थोड़ा बहुत वैसा मह्सुश करने की...
शुरू मे मुश्किल से 10 मिनट दौड़ पता था....पर दिन के उन 10 मिनट मे सिर्फ अपने साथ होता हूँ...ना कोई regret, guilt, remorse,sadness, worry , बस दौड़ना, मह्सुश करना दिल की धड़कने तेज होते, सांसो का तेज होना, दिन के उन 10 मिनटों मे लगता ज़िन्दगी थोड़ी बहुत अभी भी अपने control पे है...दौड़ना बस कोशिश है ज़िन्दगी से इन 10 मिनटों को छीनना थोड़ा सा अपने लिए...
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